प्रेम --
सतरंगी इक वलय है , प्रेम अपरिमित व्यास !
बंसी कान्हा तान है , राधा की ज्यों प्यास !!
सतरंगी इक वलय है , प्रेम अपरिमित व्यास !
बंसी कान्हा तान है , राधा की ज्यों प्यास !!
जड़ चेतन से है परे , प्रेम अनगिनत रूप !
पीड़ा में अनुराग हो , छांव कभी तो धूप !!
पीड़ा में अनुराग हो , छांव कभी तो धूप !!
प्रेम परम स्तुति गान है , बिरहन की है आस !
तम की कारा तोड़ दे, फैले धवल उजास !!
तम की कारा तोड़ दे, फैले धवल उजास !!
हित अहित तराजू नही , परहित हो आधार !
हर धड़कन सरगम बने , प्रेम तभी साकार !!
हर धड़कन सरगम बने , प्रेम तभी साकार !!
तुरता भोजन है नही , नही '' काम '' के तीर !
छप्पन भोग भोज करें , प्रेम ईश की खीर !!
छप्पन भोग भोज करें , प्रेम ईश की खीर !!
चाँद कभी सूरज लगे , कैसी शीतल आग !
सावन में हो बावरा , कभी खेलता फाग !!
-- ज्योत्सना सक्सेना
सावन में हो बावरा , कभी खेलता फाग !!
-- ज्योत्सना सक्सेना